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चिलचिलाती धूप से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ा

हाइपरटेंशन, डायबिटीज से ग्रसित मरीजों के अलावा स्मोकिंग करने या शराब पीने वाले लोगों को इसका खतरा ज्यादा होता है कई बार हीट स्ट्रोक की वजह से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बना रहता है. पानी की कमी होने से खून दिमाग तक नहीं पहुंच पाता है. खून थक्का बनकर नसों में ही जम जाता है. ऐसे में रक्त का संचार बाधित होता है और हैमरेज भी हो सकता है. एम्स के डॉ. नीरज निश्चल ने बताया कि शरीर का तापमान जब 104 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा हो जाता है तब हीट स्ट्रोक का खतरा रहता है. ऐसे में नर्वस सिस्टम भी शिथिल हो जाता है. इस वजह से डिहाइड्रेशन बढ़ने से उसकी जान भी जा सकती है. इस परिस्थिति में तत्काल अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए.

मरीज पहुंच रहे अस्पताल

दिल्ली के पीएसआरआई अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ डॉ. भास्कर शुक्ला ने बताया कि अस्पताल में पिछले कुछ समय में डिहाइड्रेशन की वजह से ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित तीन मरीज इमरजेंसी में भर्ती हुए हैं. इनमें 78 साल की एक महिला, 90 साल के पुरुष और 54 साल व्यक्ति शामिल हैं. डॉक्टर ने बताया कि जब हमने मरीजों के किडनी फंक्शन की जांच की तो पता चला कि यह डिहाइड्रेशन की वजह से हुआ था. ये मरीज बोलने में दिक्कत और हाथों में कमजोरी के लक्षणों के साथ अस्पताल आए थे. इसके अलावा पानी की कमी होने की वजह से मुंह सूखना, पेशाब कम या फिर नहीं आना भी इसके लक्षण हैं. डॉक्टर ने बताया कि तीन में से दो मरीजों को डिसचार्ज कर दिया गया है, वहीं एक अभी भर्ती है.

●शरीर का तापमान 104 डिग्री या इससे ज्यादा होना

●शरीर से पसीना निकलना बंद हो जाना

●दिल की धड़कन तेज हो जाना

●दिमाग में गफलत, असंतुलन और दौरे की स्थिति

●धूप में बाहर न निकलें और बहुत जरूरी हो तो शाम तीन बजे के बाद या 11 बजे से पहले जाएं. यदि आपको दिन में बाहर जाना है तो छांव में ब्रेक जरूर लेते रहें

●खूब पानी पिएं, अगर पहले से दिल का किडनी की बीमारी है तो इस बारे में डॉक्टर से बात जरूर कर लें

●बाहर निकलते समय सनस्क्रीन लगा सकते हैं. आम तौर पर 30 से 50 एसपीएफ की सनस्क्रीन का इस्तेमाल बेहतर होता है

●सभी पेय पदार्थ शरीर को तरल नहीं रखते शराब या ज्यादा शुगर वाले पेय पदार्थ शरीर में डिहाइड्रेशन की वजह बन सकते हैं

●घरों में ठंडे कमरों से अचानक गर्मी में बाहर निकलने से पहले थोड़ी देर सामान्य तापमान में रुकें और फिर बाहर जाएं

●व्यायाम बेहद जरूरी है, लेकिन ध्यान रहे कि इतना ज्यादा पसीना न निकले कि शरीर बहुत गर्म होने लगे

बच्चों में डायरिया के मामले 20 फीसदी बढ़े

राजधानी के अस्पतालों में गर्मी के चलते उल्टी दस्त के साथ डायरिया जैसी बीमारियों के लक्षण वाले बच्चे 20 फीसदी तक बढ़ गए हैं. एम्स के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश ने बताया कि शरीर में पानी की कमी होने पर मीठे पेय नहीं, बल्कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुझाए गए ओआरएस घोल पीने चाहिए.

फ्रिज कर सकता है दिक्कत

आईआईटी दिल्ली के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रो.तपन गांधी का कहना है कि रेफ्रिजरेटर में तापमान नियंत्रित करने के लिए चिप या आईसी का प्रयोग होता है. रेफ्रिजरेटर जहां रखा है, वहां का तापमान यदि 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो तो रेफ्रिजरेटर में तकनीकी दिक्कत आ सकती है.

तापमान का पैमाना नहीं

आईआईटी दिल्ली के प्रो.संजीव सांगी ने बताया कि एसी कितने तापमान पर काम करेगा या नहीं, इसका पैमाना नहीं है. घर का एसी बाहर के तापमान से 8 से 10 डिग्री सेल्सियस तापमान कम करता है. यदि बाहर का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस है तो अंदर तापमान कम करने में अधिक समय लगेगा.

सुबह और शाम के वक्त टहलने वाले ध्यान दें

●शरीर को सक्रिय रखना बहुत जरूरी है. ऐसे में सुबह और शाम की वॉक सेहत के लिए फायदेमंद होती है

●कोशिश करें कि सुबह धूप निकलने से पहले और शाम को 500 बजे के बाद ही वॉक करें

●खुद को गर्मी से बचाने के लिए ढीले सूती कपड़े पहनें

●वॉक करते समय इतना पसीना न बहे कि शरीर गर्म हो जाए

●अगर सुबह शाम दौड़ लगाते हैं तो ध्यान रखें कि दिल की धड़कन ज्यादा तेज तो नहीं है

●वॉक के बाद कोल्ड ड्रिंक आदि पीने लगते हैं. सभी पेय पदार्थ शरीर को तरल नहीं रखते

●अचानक बाहर निकलने से पहले थोड़ी देर सामान्य तापमान में रुकें और फिर बाहर जाएं

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