रेलवे को झटका: हाईकोर्ट ने कहा वैधानिक नियमों को प्रशासनिक निर्देश से संशोधित नहीं किया जा सकता
बिलासपुर: कैट के आदेश के खिलाफ रेलवे बोर्ड द्बारा प्रस्तुतअपील को जस्टिस गौतम भादुड़ी एवं जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि वैधानिक नियमों को प्रशासनिक निर्देशों द्वारा संशोधित या बदलाव नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने रेलवे के पीआर विभाग में पदस्थ सीनियर पीआरओ को सीपीआरओ के पद पर पदोन्नति देने के लिए डीपीसी करने कैट के आदेश को यथावत रखा है.
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में सीनियर पीआरओ के पद पर पदस्थ संतोष कुमार की 1997 में पीआरओ के पद पर नियुक्ति हुई है. नियुक्ति के बाद उन्हें 2004 में एडहॉक में सीनियर पीआरओ के पद पर प्रमोशन दिया गया. इस पद के लिए पात्र होने के बावजूद पदोन्नति नहीं दिए जाने पर उन्होंने केन्द्रीय न्यायिक प्रशासनिक अधिकरण (कैट) में प्रकरण प्रस्तुत किया. अधिकरण की बिलासपुर सर्किट बेंच ने सुनवाई उपरांत कहा कि उन्हें पात्र होने के बाद भी नियमित प्रमोशन नहीं दिया गया एवं सीपीआरओ के पद पर प्रमोशन देने डीपीसी नहीं की गई.
अधिकरण ने रेल प्रशासन को डीपीसी कर वरिष्ठता के आधार पर सीपीआरओ पर पदोन्नति देने निर्देश दिया. इस आदेश के खिलाफ रेलवे बोर्ड, चेयरमैन एवं महाप्रबंधक एसईसीआर बिलासपुर ने हाईकोर्ट में अपील की. अपील में कहा कि जनसंपर्क विभाग में सीपीआरओ के 9 पद, सीनियर पीआरओ के 8 पद एवं पीआरओ के 23 पद स्वीकृत किए गए थे. 1989 में नियम में संशोधन कर सीनियर पीआरओ के पद पर वाणिज्य विभाग में मर्ज किया गया.
इसके खिलाफ एम संमुगम ने मद्रास कैट में प्रकरण प्रस्तुत किया. कैट ने कमर्शियल विभाग में मर्ज के निर्णय को खारिज कर दिया. कैट के इस निर्णय पर रेलवे बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने कैट के निर्णय को यथावत रखते हुए याचिका खारिज की. इसके बाद रेलवे ने मद्रास के लिए एक पद रखा. कोलकाता एवं जयपुर रेलवे में भी प्रकरण पेश किया गया. इस पर रेलवे में सीनियर पीआरओ के तीन पद ही होने की बात कही गई.