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कजरी तीज 22 अगस्त को , कजरी तीज की पूजा की विधि, मुहूर्त

इस साल 22 अगस्त, गुरुवार के दिन कजरी तीज का व्रत सुहागिनें रखेंगी. पति की लंबी आयु की कामना कर शिव जी और मां पार्वती की आराधना की जाएगी. कजरी तीज को बड़ी तीज, कजली तीज और सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. ये तीज हर साल सावन खत्म होने के पश्चात भाद्रपद कृष्ण तृतीया तिथि पर पड़ती है. 22 अगस्त के दिन उत्तर भाद्रपद नक्षत्र और धृति योग का संयोग रहेगा, जो शुभ माना जाता है. सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण रात 10 बजे के करीब होगा. ऐसे में कजरी का निर्जल व्रत रखने से महिलाओं को पुण्य फल की प्राप्ति होगी. आइए जानते हैं कजरी तीज की पूजा की विधि, मुहूर्त, उपाय, पारण समय, पूजा-सामग्री व सबकुछ-

कजरी तीज की पूजा कैसे करें?

प्रात:काल उठकर स्नान कर लें और साफ वस्त्र धारण करें. पूजा घर, मंदिर या पूजा स्थल पंडाल को गंगाजल से शुद्ध करें. लकड़ी की चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं. अब शिव परिवार की तस्वीर, पार्थिव शिवलिंग, या मिट्टी से शिव परिवार बनाकर स्थापित करें. गणेश जी का ध्यान करें. व्रत रखना ह तो संकल्प लें. शिव जी का पंचामृत से अभिषेक करें. सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक करें. चंदन का तिलक लगाकर केसर, वस्त्र, अक्षत, फल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, और फूल अर्पित करें. मां पार्वती को चुनरी, सिंदूर समेत शृंगार की वस्तुएं चढ़ाएं और उनका शृंगार करें. धूप-दीप जलाएं. शिव-पार्वती की कथा का पाठ करें. खीर, दही, पंचमेवे या हलवा का भोग लगाएं. श्रद्धा के साथ आरती करें. पुष्प हाथ में लेकर अपने पति व सन्तान की रक्षा के लिए प्रार्थना करनी चाहिए, जिससे पूरे साल भर घर में सुख शान्ति बनी रहती है. पूजा समाप्त करने के बाद क्षमा प्रार्थना करें.

पूजा-सामग्री

गाय का दूध, दही, गंगाजल, पीला वस्त्र, कच्चा सूत, केले के पत्ते, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, सफेद मदार का पुष्प, जनेऊ, नारियल, सुपारी, अक्षत या चावल, दूर्वा, रोली, अबीर-गुलाल, चन्दन, भस्म, सफेद चन्दन, चौकी, शृंगार का समान, मिठाई, दीपक इत्यादि.

कजरी तीज का खास महत्व

कजरी तीज को कजली तीज और बड़ी तीज भी कहते हैं. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार के कई इलाकों में कजरी तीज को बूढ़ी तीज व सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. कजरी तीज महिलाओं का पर्व है. कजरी तीज कृष्ण जन्माष्टमी के पांच दिन पहले मनाई जाती है. कजरी तीज पर महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं. 

कजरी तीज पूजा-मुहूर्त

तृतीया तिथि प्रारम्भ – अगस्त 21, 2024 को 05:06 पी एम बजे

तृतीया तिथि समाप्त – अगस्त 22, 2024 को 01:46 पी एम बजे

बिना इस 1 काम से नहीं होगा व्रत पूरा

कजरी तीज का व्रत बिना चंद्रमा को अर्घ्य दिए अधूरा माना जाता है. इसलिए पूजा समाप्त करने के बाद शुद्ध जल में कच्चा दूध मिलाकर चंद्र देव को अर्घ्य दें और नमन करें.

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