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जानें अंतरिक्ष में किस तरह के पौधे उगाने की कोशिश में ISRO?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के द्वारा बीते 30 दिसंबर को अंतरिक्ष में भेजे गए लोबिया (ब्लैक-आइड पी) के बीज पिछले सप्ताह अंकुरित हो गए. यह प्रयोग ISRO के CROPS के तहत किया गया था. इस सबके बीच यह चर्चा होने लगी है कि आखिर इसरो के इस मिशन का मकसद क्या है. इसके बारे में वैज्ञानिकों ने विस्तार से बात की है.

मंगल और चांद के लिए मानव मिशन की तैयारी हो रही है. इसे देखते हुए अंतरिक्ष में पौधे उगाने की दिशा में भी कोशिश की जा रही है. इसका मकसद है कि अंतरिक्ष यात्रा पर गए लोगों को वहां इसका लाभ मिले. मिशनों के लिए जाने वाले अंतरिक्षयानों को फिर से भरने की कोई गुंजाइश नहीं होती है. अंतरिक्ष यात्री सीमित मल्टीविटामिन के स्टॉक पर निर्भर नहीं रह सकते हैं. प्री-पैकेज्ड विटामिन समय के साथ टूटकर अपनी पोषक गुणवत्ता खो देते हैं.

पौधे प्रकाश संश्लेषण के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए अंतरिक्ष में उन्हें उगाने से अंतरिक्ष यानों में वायुमंडल को सांस लेने योग्य बनाए रखने में मदद मिल सकती है. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने अपनी एक रिपोर्ट में अमेरिका स्थित ब्लू मार्बल स्पेस इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के अनुसंधान वैज्ञानिक सिद्धार्थ पांडे के हवाले से यह बात कही है.

अंतरिक्ष में पौधे उगाने में क्यों होती है मुश्किल?

अंतरिक्ष में पौधे उगाने की सबसे बड़ी चुनौती माइक्रोग्रैविटी (सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण) है, जिसमें लोग या वस्तुएं बेदम लगती हैं. वे वजनहीन प्रतीत होती हैं. गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण पौधों की जड़ें नीचे की ओर नहीं बढ़ पाती हैं. पोषक तत्वों की आपूर्ति करना भी कठिन हो जाता है. चूंकि पानी माइक्रोग्रैविटी में किसी भी सतह से चिपक जाता है. जब पानी को पौधे की जड़ों के आधार पर डाला जाता है तो यह नीचे जड़ों तक नहीं पहुंचता.

इसके अलावा, अंतरिक्ष में तापमान में भारी उतार-चढ़ाव होते हैं. यहां तापमान सैकड़ों डिग्री तक हो सकते हैं, इसलिए पौधों को तापमान में परिवर्तन से बचाने के लिए भी सावधानियां बरतनी पड़ती हैं.

अंतरिक्ष में पौधे कैसे उगाए जा रहे हैं?

वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में पौधे उगाने का प्रयोग सीमित स्तर पर किया है. अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर वेजिटेबल प्रोडक्शन सिस्टम नामक अंतरिक्ष गार्डन का आकार औसत कैरी-ऑन बैग के बराबर है, जिसमें आमतौर पर छह पौधे होते हैं.

अंतरिक्ष में पौधे उगाने के कई तरीके हैं. सबसे सामान्य तरीका है हाइड्रोपोनिक्स है. इसमें पौधों को मिट्टी की बजाय पानी और पोषक तत्वों के मिश्रण के जरिए उगाया जाता है. अंतरिक्ष में पौधे एरोपोनिक्स प्रणाली में भी उगाए जा सकते हैं. इसमें मिट्टी या किसी अन्य माध्यम की आवश्यकता नहीं होती. इस विधि से पानी की खपत में 98% कमी आती है. उर्वरक की खपत में 60% तक कमी आती है. साथ ही कीटनाशकों की आवश्यकता भी समाप्त हो जाती है.

ISRO ने अंतरिक्ष में लोबिया कैसे उगाया?

ISRO का CROPS बॉक्स एक मिनी ग्रीनहाउस की तरह है. इसमें मिट्टी, लोबिया के बीज, पानी, सूरज की रोशनी के समान लाइट्स और पृथ्वी जैसे वायुमंडलीय शर्तें हैं. ISRO ने कुछ उच्च सुसंस्कृत मिट्टी का उपयोग किया, जिसमें छोटे-छोटे गोलों के आकार के कण होते हैं. इन कणों की छिद्रता ने पानी को अवशोषित और बनाए रखने में मदद की. ये गोलियां धीमी गति से रिलीज होने वाला उर्वरक से युक्त थीं, जो पौधों को नियंत्रित तरीके से पोषक तत्व प्रदान करती थीं.

प्रकाश संश्लेषण के लिए ISRO ने चार गर्म एलईडी और चार ठंडे एलईडी का उपयोग किया. ISRO ने एक बयान में कहा, “लाइट्स को 16 घंटे के लिए ऑन और 8 घंटे के लिए ऑफ किया जाता है. इससे दिन और रात की स्थिति का अनुकरण होता है.”

अंतरिक्ष में कौन से पौधे उगाना संभव?

पौधों का चयन उनकी वृद्धि दर, पोषक सामग्री और अंतरिक्ष कृषि प्रणालियों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है. पत्तेदार हरे पौधे जैसे लेट्यूस, पालक, और केले तेजी से बढ़ते हैंय़ कम स्थान की आवश्यकता होती है. ये पोषक तत्वों में समृद्ध होते हैं. बीन और मटर भी उगाए जा सकते हैं क्योंकि ये प्रोटीन से भरपूर होते हैं और मिट्टी में नाइट्रोजन को फिक्स कर सकते हैं, जिससे पोषक तत्वों का चक्र सुधारने में मदद मिलती है.

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