आज से तीन दिन बाद धनतेरस है। इसी दिन से दीपोत्सव की तैयारी भी शुरु हो जाती है। मान्यता है कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर ही भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। इसी दिन को अब धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि के साथ-साथ भगवान कुबेर को भी पूजा जाता है। साथ ही शाम में यमराज की भी पूजा की जाती है और उनके नाम का दीया घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है। धनतेरस पर नए बर्तन और सोने-चांदी के सिक्के खरीदने का रिवाज है। कहते हैं कि इस दिन की गई खरीददारी से लाभ मिलता है और धन-धान्य की कमी नहीं होती है। इसके अलावा धनतेरस पर झाड़ू खरीदने की पुरानी परंपरा है। अगर आप भी इस धनतेरस झाड़ू खरीदने वाले हैं तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखिएगा।
झाड़ू को इस समय खरीदना है शुभ
धनतेरस के दिन झाड़ू को खरीदना काफी शुभ बताया जाता है। हालांकि इस दिन खरीदे जानी वाली झाड़ू विशेष तौर पर खजूर के पत्तों या फिर घास-तिनकों से बनी होनी चाहिए। इसे खरीदने का शुभ समय सुबह का है। माना जाता है कि इस समय खरीदी जाने वाली झाड़ू घर में बरकत ले आती है। गलती से भी झाड़ू सूर्यास्त के बाद नहीं खरीदनी चाहिए। हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि धनतेरस पर कभी भी प्लास्टिक इत्यादि से बनी झाड़ू नहीं खरीदनी चाहिए।
इस दिशा में रखें झाड़ू
झाड़ू से जुड़े वास्तु नियमों का जरूर से पालन करना चाहिए। मान्यता है कि अगर झाड़ू को गलत दिशा में रखा जाए तो इससे वास्तु दोष भी लग सकता है। वास्तु शास्त्र के हिसाब से झाड़ू को हमेशा दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा में ही रखना चाहिए। झाड़ू को रखने के लिए ये सबसे शुभ दिशा मानी जाती है। कहते हैं कि इस दिशा में झाड़ू रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है। शास्त्र के हिसाब से कभी भी झाड़ू को पूर्व दिशा में नहीं रखना चाहिए। अगर गलत दिशा में झाड़ू रखी जाए तो इससे घर में नेगेटिव एनर्जी का वास होने लगता है। साथ ही वास्तु दोष का भी खतरा रहता है। धनतेरस पर खरीदी गई झाड़ू या फिर नॉर्मल झाड़ू को भी कभी भी मेन गेट या फिर पूजा घर के आसपास नहीं रखना चाहिए।



















