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सरयू मइया को भी मिला प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण

अयोध्या . रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चल रहे अनुष्ठान के अंतर्गत बुधवार को अपराह्न सवा एक बजे के निर्धारित मुहूर्त में मां सरयू का विधिपूर्वक पूजन कर उन्हें भी स्नेह निमंत्रण दिया गया. मां सरयू को रामलला की बड़ी बहन माना गया है.

मान्यता है कि महाराज रघु के आग्रह पर महर्षि वशिष्ठ ने ब्रह्मदेव को प्रसन्न कर उनसे सरयू को प्राप्त किया था. धरती पर सरयू का अवतरण महर्षि वशिष्ठ की अनुगामिनी के रूप में हुआ. इसके चलते उनका एक नाम वाशिष्ठी भी है.

इसके साथ कलश पूजन व कलश धारण करने वाली सौभाग्यवती स्त्रित्त्यों का भी पूजन किया गया. इनका चयन पहले करके उन्हें सरयू तट पर आमंत्रित किया गया था. इन सुहागिनों का पूजन प्रमुख यजमान डॉ. अनिल मिश्र की धर्मपत्नी उषा मिश्रा ने किया. पूजन में मुख्य रूप से उषा मिश्रा, वंदना उपाध्याय, निवेदिता मिश्रा, शिवानी बंसल व स्वर्णिमा वर्मा शामिल थीं. इसके अतिरिक्त दो अन्य महिलाएं भी इसमें बाद में सम्मिलित हुईं, जिनमें वंदना अग्रवाल व रितु वर्मा थी. सरयू तट पर पूजन के बाद कलश यात्रा शुरू हुई. कुछ दूरी चलने के उपरांत कलश धारण करने वाली सुहागिनों को यजमान के साथ वाहन से श्रीरामजन्म भूमि परिसर ले जाया गया.

ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्रत्त्ी द्रविड़ के अनुसार, परिसर में पूजन का मुहूर्त 420 बजे निर्धारित किया गया था. इसके कारण परिसर में पहुंचने के उपरांत जल यात्रा के साथ रामलला के रजत विग्रह की शोभायात्रा पालकी से निकाली गई और मंदिर की परिधि में उनका परिभ्रमण कराया गया. इस दौरान तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपतराय व विहिप के केन्द्रीय सलाहकार दिनेश जी सहित अन्य मौजूद रहे.

सरयू जल लेकर निकाली यात्रा विहिप महासचिव को सौंपे कलश

पांच सौ महिलाओं ने बुधवार को सरयू से कलश में जल लेकर राम जन्मभूमि मार्ग तक यात्रा निकाली. यहां पर विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय महासचिव राजेंद्र सिंह पंकज को सभी कलश सौंपा गया. कार्यक्रम में डिप्टी सीएम बृजेश पाठक की पत्नी नम्रता पाठक और जिला पंचायत अध्यक्ष रोली सिंह भी रहीं. गुरुवार को चार हजार महिलाएं सरयू तट पर अवसान माता (दुरदुरिया) का पूजन करेंगी. आयोजक वशिष्ठ फाउंडेशन की सचिव राजलक्ष्मी त्रिपाठी ने यह जानकारी दी.

शास्त्रत्त् सम्मत मुहूर्त अद्भुत रामभद्राचार्य

पद्म विभूषण से सम्मानित तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने जन्मभूमि के मंदिर में रामलला के विग्रह की प्रतिष्ठा के लिए चयनित मुहूर्त का बचाव किया है. उन्होंने कहा कि प्राण-प्रतिष्ठा का मुहूर्त पूर्ण रूप से शास्त्रत्त् सम्मत है. मकर संक्रांति के बाद 22 जनवरी को द्वादशी तिथि है और प्राण-प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकेंड का जो मुहूर्त मिला है, वह तो अद्भुत है. उस समय कलियुग पर त्रेता की छाया पड़ रही है. वह बुधवार को अयोध्या में परिक्रमा मार्ग स्थित भक्तमाल जी की बगिया में चल रही अपनी रामकथा से पूर्व मीडियाकर्मियों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जिस समय राम जी आ रहे हैं, वही शुभ समय है.

रामलला के अचल विग्रह का भी भ्रमण

रामसेवकपुरम की विवेक सृष्टि में रामलला के श्रीविग्रह का निर्माण कराया गया है. उसी कर्म कुटीर से रामलला के अचल विग्रह को कड़ी सुरक्षा के बीच बालू घाट बरहटा चौराहे से लता चौक होकर राम पथ से हनुमानगढ़ी, बड़ा स्थान व अमावां राम मंदिर होते हुए श्रीराम जन्मभूमि परिसर में ले जाया गया. इस दौरान राम पथ पर एक साइड पर यातायात को रोक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था.

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