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केदारनाथ में पर्यटन के लिए हेलीकॉप्टर से पहुंचाई एसयूवी कार

केदारनाथ धाम में चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से शुक्रवार को एसयूवी कार(थार)पहुंचा दी गई है. पर्यटन विभाग से स्वीकृत यह थार पीडब्ल्यूडी की इलेक्ट्रॉनिक एंड मैकेनिकल यूनिट द्वारा खरीदी गई है.

शुक्रवार सुबह एयरफोर्स के चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से थार एसयूवी को सुरक्षित केदारनाथ धाम हेलीपैड पर पहुंचा दिया गया है. हेलीपैड पर पहुंचने के बाद थार को चालक द्वारा सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया. इस वाहन की मदद से केदारनाथ धाम में मेडिकल इमरजेंसी के अलावा अत्यधिक बुजुर्ग एवं बीमार तीर्थ यात्राओं के साथ ही अति विशिष्ट लोगों को केदारनाथ हेलीपैड से मंदिर और मंदिर से हेलीपैड तक पहुंचाने का काम किया जाएगा.

एक थार की कीमत करीब 12 लाख से अधिक बताई गई है. लोक निर्माण विभाग डीडीएमए के अधिशासी अभियंता विनय झिंकवाण ने बताया कि चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से थार को शुक्रवार सुबह केदारनाथ धाम पहुंचा दिया गया है. एक और थार जल्द ही चिनूक की मदद से केदारनाथ पहुंचा दिया जाएगा. इस तरह केदारनाथ में दो थार उपलब्ध रहेंगी. जो मेडिकल इमरजेंसी में मददगार साबित होगी.

यात्रा के लिए ऑफलाइन पंजीकरण आज से होगा

चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण खुलने का इंतजार कर रहे यात्रियों के लिए राहत की खबर है. राज्य सरकार पहली जून से चारधाम यात्रा के लिए ऑफलाइन पंजीकरण फिर शुरू कर रही है. गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने शुक्रवार शाम को हरिद्वार में यह जानकारी.

गढ़वाल आयुक्त ने ऋषिकुल मैदान में पत्रकारों से वार्ता में बताया कि सभी जिलाधिकारियों से बातचीत करने के बाद एक जून से चारधाम यात्रा के श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ऑफलाइन पंजीकरण दोबारा शुरू करने का निर्णय लिया गया है. शनिवार को सुबह सात बजे से हरिद्वार और ऋषिकेश में ऑफलाइन पंजीकरण शुरू होंगे.

चारधाम रूट पर प्रदूषण फैला रहे होटल बंद होंगे

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा रूट पर बिना पंजीकरण चल रहे सौ से ज्यादा होटल-रेस्टोरेंट को उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने नोटिस भेजा है. इनमें से 20 को सीलिंग के नोटिस भी जारी कर दिए गए हैं, बाकी प्रतिष्ठानों को एनओसी लेने की हिदायत दी गई है. आरोप है कि यात्रा सीजन में मोटी कमाई के चक्कर में धड़ल्ले से होटल-ढाबे और रेस्टोरेंट तो खोले जा रहे हैं, लेकिन मानकों की खुलेआम अनदेखी भी की जा रही है. चारधाम यात्रा रूट पर सीजन के करीब छह महीने ही होटल-ढाबे और रेस्टोरेंट के संचालक सालभर जितनी कमाई कर लेते हैं.

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