धर्म एवं साहित्यज्योतिष

श्रीकृष्ण का जन्मदिन निशीथ बेला में मनाया जाएगा

महायोगी श्रीकृष्ण इस बार द्वापर युगीन दुर्लभ संयोग के बीच सोमवार को अवतरित होंगे. ज्योतिषाचार्य कामेश्वर चतुर्वेदी ने बताया कि मथुरा में चंद्रमा उदय रात 1124 बजे निशीथ बेला में होगा. ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण 5250 वर्ष पूर्ण करके 5251वें वर्ष में प्रवेश करेंगे. दिल्ली में चंद्रोदय का अनुमानित समय 1126 बजे है.

अनूठी परंपरा गोकुल में जन्म से पूर्व छठी पूजन

पंडित अमित भारद्वाज बताते हैं कि जन्माष्टमी पर गोकुल में कृष्ण जन्मोत्सव के पूर्व दिवस पर बालकृष्ण का छठी पूजन होता है. गोकुल में नंद किले के अलावा घर-घर में छठी पूजन एक दिन पूर्व होता है. एक कथानक के अनुसार, मां यशोदा व नंदबाबा बालक के वात्सल्य में ऐसे मगन हो गए कि छठी पूजना ही भूल गए. जब बालकृष्ण का पहला जन्मदिन आया तब उनको याद आया कि लाला की छठी नहीं पूजी. इसलिए उन्होंने प्रथम जन्म दिवस से पूर्व कान्हा की छठी पूजी. यह परंपरा आज भी गोकुल में परंपरागत रूप मनाई जाती है.

सप्तमी तिथि सुबह 820 बजे समाप्त हो जाएगी

ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि जन्माष्टमी पर जयंती योग, बव करण, वृष लग्न, रोहिणी नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बना रहेगा. इस दिन श्रीकृष्ण के साथ माता देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा की पूजा-अर्चना होगी. 26 अगस्त, सोमवार को सप्तमी तिथि दिन 820 बजे समाप्त होकर अष्टमी तिथि लग आएगी और रात्रि 910 बजे से रोहिणी नक्षत्र भी प्रारंभ हो जाएगा. इस प्रकार अष्टमी तिथि-रोहिणी नक्षत्र जयंती योग बना रहा है.

● 5251वें जन्मदिन के अवसर पर 45 मिनट द्वापर जैसे संयोग बन रहे

● यह शुभ समय 26 अगस्त की मध्यरात्रि 1201 से 1245 बजे तक का होगा

जन्माष्टमी पर चंद्रमा वृषभ राशि और रोहिणी नक्षत्र में होगा

द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण भाद्रपद मास, कृष्ण पक्ष, अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र की निशीथ बेला में मथुरा में कंस के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से अवतरित हुए थे. उस समय वृषभ लग्न एवं रोहिणी नक्षत्र, उच्च राशि के चंद्रमा थे. इस साल जन्माष्टमी के दिन भी चंद्रमा वृषभ राशि में और रोहिणी नक्षत्र में होगा. साथ ही, सर्वार्थ सिद्धि योग, गजकेसरी योग और शश राजयोग भी बन रहे हैं.

कृष्ण जन्मोत्सव इस बार चंद्रवार को

पंडित अमित भारद्वाज कहते हैं कि इस बार वृष राशि में उच्च के चंद्रमा तो हैं, पर बुधवार नहीं है, लेकिन अजब संयोग है कि 26 अगस्त को जन्माष्टमी पर सोमवार है. सोमवार को चंद्रवार भी कहा जाता है. सोम का पर्याय चंद्र है. यानि प्रभु श्री कृष्ण का जन्मोत्सव इस बार अपने पूर्वज के वार अर्थात् चंद्रवार को मनाया जाएगा.

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