बच्चों से कभी ना कहें ऐसी बातें, मेंटल हेल्थ पर पड़ता है असर
बच्चों की परवरिश का तरीका उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है. खासतौर पर बच्चे जब किशोरावस्था में पहुंचते हैं तो उन्हें माता-पिता की कहीं बातों का गहरा असर पड़ता है.
माता-पिता के स्वभाव और परवरिश का पूरा असर बच्चे पर होता है. इसलिए आजकल पैरेंटिग पर बहुत ज्यादा फोकस किया जाने लगा है. लेकिन इसके बावजूद काफी सारे पैरेंट्स बच्चों से ऐसी बातें बोलते हैं. जो उनके केवल आत्मविश्वास को ही नहीं हिलाती बल्कि उन्हें मानसिक रूप से कमजोर बना देती है. खासतौर पर जब आपका बच्चा किशोरावस्था यानी टीन एज पार कर रहा हो. ऐसे नाजुक वक्त पर बच्चे से कही पैरेंट्स की ये बातें उसे मेंटली कमजोर बना सकती है.
बच्चे के करियर च्वॉइस को पसंद ना करना
आजकल बच्चे अपनी पसंद का करियर चुनना चाहते हैं. लेकिन बहुत सारे पैरेंट्स आज भी वहीं पुराने ख्याल के साथ चाहते हैं कि बच्चा डॉक्टर या इंजीनियर ही बनें. या फिर बच्चे के किसी खास स्ट्रीम डांसिंग, सिंगिंग जैसे पैशन को पसंद नहीं करते. ऐसे में किशोर उम्र से ही उसके शौक और पैशन पर निगेटिव कमेंट करना और हर वक्त आलोचना करना. उसके आत्मविश्वास को कमजोर कर देता है.
हर वक्त सफल होने का प्रेशर बनाना
पैरेंट्स अक्सर बच्चों की कामयाबी से उतने खुश नहीं होते. वो दूसरों के बच्चों की कामयाबी को देखकर अपने बच्चे की तुलना करते हैं. ऐसे में बच्चा अपने फील्ड में कितना भी सक्सेजफुल बन जाए. माता-पिता की आलोचना उसे मानसिक रूप से कमजोर बना देती है और उसका आत्मविश्वास हिला देती है.
बॉडी शेमिंग
दूसरे ही नहीं कई बार बच्चों के माता-पिता ही बच्चे की बॉडी शेमिंग करते हैं. ऐसे में वो सबसे ज्यादा स्ट्रेस और डिप्रेस्ड महसूस करता है. किशोर हो रहे बच्चे की हाईट नहीं बढ़ रही या बच्चा दुबला-पतला है. बच्चे ने दाढ़ी नहीं बनाई या बेटी मोटी है, तो उसे फिगर बनाने के लिए फोर्स करना. पैरेंट्स की बच्चे के अपीयरेंस पर कही बातें उन्हें मानसिक रूप से बीमार बना सकती है और वो अक्सर डिप्रेशन में चले जाते हैं.
बच्चों से बहुत ज्यादा उम्मीदें पालना
बच्चे अपनी क्षमता और बौद्धिक क्षमता के अनुसार ही काम कर पाएगा. इसलिए उससे बहुत ज्यादा उम्मीद पालना और हर वक्त दूसरों से तुलना करना आत्मविश्वास को कमजोर बना देता है. कई बार बच्चे माता-पिता के तुलनात्मक व्यवहार और लगातार करने वाले कमेंट से इतना घबरा जाते हैं कि डिप्रेशन में चले जाते हैं या फिर खुद को हर मामले में कमजोर और बाकी लोगों से पीछे समझने लगता है.