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2000 फोटो देखकर बनाई रामलला की प्रतिमा
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आखिर गर्भगृह में स्थापित रामलला की श्यामल प्रतिमा कैसे बनी? यह सवाल हर किसी के मन में कौंध रहा होगा. इसका जवाब खुद मूर्तिकार अरुण योगीराज की पत्नी विजेता ने दिया है. वायरल मीडिया रिपोर्ट्स में विजेता कहती हैं कि छेनी-हथौड़ी का शोर मेरे और पूरे परिवार के लिए संगीत की तरह है.
पति अरुण का बचपन इसे सुनकर बीता है. अरुण को रामलला की प्रतिमा बनाने का काम मिला तो उन्होंने इसे गंभीरता से लेकर बच्चों की 2000 से ज्यादा फोटो देखीं. महीनों बच्चों को ऑब्जर्व करने स्कूल, समर कैंप, पार्क जाने लगे.
वहां वे कई-कई घंटे बच्चों को खेलते देखा करते थे. इसे ऑब्जर्व कर वह रोज 18 घंटे काम करते रहे. इस दौरान कई बार दो घंटे ही सो पाए. जब मूर्ति तैयार हुई तो एक-एक बारीकी ने सबका मन मोह लिया.